हर चाह वक़्त की दरारों में दबी मिली,
जीने के लम्हों में ज़िन्दगी नहीं मिली।
उस रहगुज़र पर चलने का क्या फायदा
जहाँ साथी नहीं मिले मंजिल नहीं मिली।
बेबसी में जीना मुक़द्दर बनाये बेठे हैं,
जिससे भागते है दूर, किस्मत वहीँ मिली।
इंतज़ार था उनका, यकीन था आयेंगे वो,
दरवाज़े पे खड़े थे पर दस्तक नहीं मिली।
मोहब्बत के लिबास में वो बताते है अपने,
चाहा जिसे उम्र भर, वो चाहत नहीं मिली।
जीने के लम्हों में ज़िन्दगी नहीं मिली।
उस रहगुज़र पर चलने का क्या फायदा
जहाँ साथी नहीं मिले मंजिल नहीं मिली।
बेबसी में जीना मुक़द्दर बनाये बेठे हैं,
जिससे भागते है दूर, किस्मत वहीँ मिली।
इंतज़ार था उनका, यकीन था आयेंगे वो,
दरवाज़े पे खड़े थे पर दस्तक नहीं मिली।
मोहब्बत के लिबास में वो बताते है अपने,
चाहा जिसे उम्र भर, वो चाहत नहीं मिली।