Saturday, November 19, 2011

सब कुछ है तुम्हारा!

जब लगे कुछ रहा नहीं तुम्हारा !

जो साथ था वो पीछे छूट गया है,
हातों से जैसे सब कुछ टूट गया है।
अब खाली हैं हाथ
और अकेली है ज़िन्दगी ।
कोई खम्बक्त ने चुरा लिया हो
ज़िन्दगी से तुम्हारी ज़िन्दगी ।

जब लगे विराना सा सारा जहाँ,
जी रहें हो अकेले और तनहा वहां।
जब लगे कि डूबे हैं
कोई गहेरे समंदर में।
खुद हि ढूँढ रहे हो
खुद हि को बवंडर में ।

जब लगे कि कोई आस न रही हो ।
मरने का डर भी कोसो दूर कहीं हो।
न कोई अपना हो,
न कोई हो पराया।
वक़्त करे बेवफाई,
छोड़े साथ भी साया।

तब एक बार खुले आसमान के नीचे,
दोनों बाहें फेलाए, अंखियों को मीचे,
एक बार उस खुदा को देखना।

तब लगेगा
ये दूर वादिओं से जो हवा चल रही है,
वो तुमसे गले लगने कि कोशिश कर रही है।
ये चिराग तुम्हें देखने के लिए जल रहा है।
ये बादल तुम में मिलने के लिए पिघल रहा है ।

ये शीतल चाँद भी है तुम्हारा ,
ये जलता सूरज भी है तुम्हारा,
ये तारों का झुण्ड भी है तुम्हारा ,
ये सबका खुदा भी है तुम्हारा,

तब लगेगा तुम्हें कि सब कुछ है तुम्हारा।

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