Sunday, May 2, 2010

दरिया दिल

दिल दरिया दिल दरिया दिल दरिया दिल,

डूब के बच पाना इसे है मुश्किल ।

समझ में आ पाना है नामुमकिन,

शैतानी भरी, अनजान सभी,

निकले तो लगता है जिन।


चाँद की चांदनी में छुप जाये,

फूलों पर भंवरों सा मंडराए।

कल कल करता पानी पे,

जो छूने पर छींटे उड़ाये।

नादान कभी, इसके मेहमान सभी,

जागे सारी रतियाँ, जागे सारा दिन,

जो निकले तो लगता है जिन।


टकराए तो अगन लगाये,

आग जो तूफ़ान ही बुझा पाए।

मान ले जो एक बार कहना इसका,

दर्द इसमें अपना डेरा करजाये।

चंचल बड़ा, व्याकुल मन सा,

रह न पाओगे तुम इसके बिन।

निकले तो लगता है जिन।