इश्क में जिसे खुदा बना दिया,
उसी ने हमें बेवफ़ा बना दिया।
वो आये मय्यत में सज धज के,
जनाज़े को भी सेहरा बना दिया।
जो मिलते हैं दो-चार दिन गिन के,
उनका भी क्या तमाशा बना दिया।
मिलते हैं वो हमसे गैरों की तरह,
अपनों ने हमें पराया बना दिया।
कर-गुजरने के काबिल तो थे हम,
इश्क ने हमें निकम्मा बना दिया।
उसी ने हमें बेवफ़ा बना दिया।
वो आये मय्यत में सज धज के,
जनाज़े को भी सेहरा बना दिया।
जो मिलते हैं दो-चार दिन गिन के,
उनका भी क्या तमाशा बना दिया।
मिलते हैं वो हमसे गैरों की तरह,
अपनों ने हमें पराया बना दिया।
कर-गुजरने के काबिल तो थे हम,
इश्क ने हमें निकम्मा बना दिया।