Friday, May 24, 2013

ग़ज़ल - 24/05/2013

इश्क में जिसे खुदा बना दिया,
उसी ने हमें बेवफ़ा बना दिया।

वो आये मय्यत में सज धज के,
जनाज़े को भी सेहरा बना दिया।

जो मिलते हैं दो-चार दिन गिन के,
उनका भी क्या तमाशा बना दिया।

मिलते हैं वो हमसे गैरों की तरह,
अपनों ने हमें पराया बना दिया।

कर-गुजरने के काबिल तो थे हम,
इश्क ने हमें निकम्मा बना दिया।