मालूम है मुझे तेरे बिन जीना मुश्किल,ये खुदा
पर कुछ देर के लिए ही सही मुझे अकेला छोड़ दे।
जो मेरे आंसू में बारिश की बूंदे है मिली,
लगा खुदा भी नहीं देख सका मुझे रोते हुए।
कब से बन्द रखी है आँखें जो आंसू न बह जाये,
ये खुदा, कैसे जुदा करे उसे जो तुने मुझे दिया है।
देखा दुनिया को पर उस खुदा को नहीं देख पाया,
कुछ तो वजह होगी जो उसने बक्शा हमें साया।
क्यों चुभते हैं कांटे जो तेरे पास आना चाहता हूँ ?
या ज़ख्म है फूलों के जो मैं न समझ पाता हूँ ?
No comments:
Post a Comment