वो वक़्त और ये वक़्त में कुछ अंतर है।
उनके लहू और हमारे रक्त में कुछ अंतर है।
वो जीये तो खुदा भी उनका कायल हुआ है।
हमारे जीने में तो खुदा बस घायल हुआ है।
क्या मायने निकालें हम अपने जीने का,
जब पत्थरों से भरा हो दिल अपना सीने का।
फिर भी एक फ़रियाद आज मैं खुद से करता हूँ।
खुद के लिए रोज़ मरे एक बार देश के लिए मरता हूँ।
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