Saturday, December 8, 2012

काश ये दुनिया मेरी माँ की तरह होती।

काश ये दुनिया मेरी माँ की तरह होती।

जिसे फ़िक्र न होती कि
मैं क्या काम करता हूँ।
मेरी आमदनी कितनी है।
और मैं कितनी बुराइयों से घिरा हूँ।

फ़िक्र तो बस इतनी होती कि
मैं ठीक से खाना तो खाता हूँ।
कभी भूखा तो नहीं सो जाता हूँ।
कभी कोई परेशानी तो नहीं सताती है।

जिसे फ़िक्र न होती कि
मैं उसके कन्धों से कितना ऊंचा हूँ।
कितना पढ़ा और कितनी दूर पहुंचा हूँ।
अभी क्या हूँ और आगे क्या चाहता हूँ।

फ़िक्र तो बस इतनी होती कि
मैंने अपनों बालों की सही से बाये तो है।
मैं दिखता अच्छा कपडे धुले धुलाये तो हैं।
खर्च करने के लिए कुछ पैसे हाथ में थमाए तो हैं।

जिसे फ़िक्र न होती कि
गोदी में सोने से उसके पेरों में दर्द कितना है।
आँखें नम कितनी है और दिल भरा कितना है।
हाथ कपकपाते हैं और शरीर में दम कितना है।

फ़िक्र तो बस इतनी होती कि
उसकी गोदी में सोता रहूँ, कोई खलल न हो पाये।
मेरे पसंद का खाना वो रोज बनाकर मुझे खिलाये ।
और रोज मुझे वो अपनी ममता के आँचल में सुलाये।


काश ये दुनिया मेरी माँ की तरह होती।

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