(1)
जो पल भर न थमे वक़्त तो यकीन होता है,
कुछ तो है, जो खुदा के हाथ में भी नहीं है।
(2)
जो पल भर थम जाता वक़्त तो यकीन होता,
कुछ तो है जो खुदा के हाथ में भी है।
(3)
जो माना तुझे खुदा तो, खुश खुदा हो गया,
पर तोहीन न हो जाये तेरी, ये मुझे गुमां हो गया।
(4)
वो कहते हैं कि खुदा है तो खुदा क्यों दिखता नहीं?
हम येही कहते हैं जो दिखता है वो खुदा होता नहीं।
(5)
अगर खुदा तुझे नाज़ है इस खुदाई पर तो,
में कौन हूँ जो इस खुदाई पर ऐतराज़ करे।
(6)
जो करने आए मोहब्बत तो नफ़रत क्यों मिली?
ये खुदा तू ही बता दे, हमसे गिला अब क्या हुई?
(7)
वो आइना भी था तेरा, वो शक्ल भी थी तेरी,
फिर भी न जाने हमें क्यों गुमान हो गया।
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