Saturday, January 10, 2015

Ek Baat ..

एक बात थी जो कई बातों में खो गयी।
सहर हुई नहीं जो मैं रातों में खो गयी।

दिल मेरा पूछता है बेकरारी का सबब,
मिलने से पहले मुलाकातों में खो गयी।

आते हैं वो बड़ी बेरुखी से आजकल घर,
हाल कौन पूछे मैं हालातों में खो गयी ।

पास होकर भी वो मेरे करीब नहीं होते,
ज़िन्दगी मेरी तो बिसातों में खो गयी । 

ये आंसू है मेरे या बारिश का पानी,
रंजिश थी जो इल्तिफ़ातों में खो गयी । 

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