ज़मीं है तू आसमां है तू,
इस छोटे से दिल का सारा जहाँ है तू।
दोस्त भी तू, रकीब भी तू,
ज़िन्दगी का सलीब भी तू।
ख़ुशी भी तू और गम भी तू,
हर दर्द का महरम भी तू।
रात में तू, बात में तू,
मेरे हर जज़्बात में तू।
कलियों के शर्माने में तू,
ख़ुशी से झूल जाने में तू।
वक़्त की हंसीं तस्वीर है तू,
हुन से लिखी तक़दीर है तू।
मंज़िल है तू रहगुज़र है तू,
जो थमे नहीं वो सफ़र है तू।
हर बेखुदी का सबब है तू,
जो छूटे नहीं वो तलब है तू।
ज़िंदा होने का एहसास है तू,
मेरे लिए बहुत ख़ास है तू।
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