जब भी तुम्हे मैं अपने घर की छत से देखता हूँ
तो मानो मेरी ज़िन्दगी खुश्नुमाह ख्वाब बन जाती है।
जब तुम अपने जुल्फों को उँगलियों से सहलाती हो
तो मानो सारे बादलों में बिजली सी कड़क जाती है।
जब तुम अपने माथे पे छोटी गोल बिंदी लगाती हो
तो मानो चाँद की चांदनी भी कुछ ज्यादा हो जाती है।
जब तुम अपने होठों को दाँतों के बीच दबाती हो
तो मानो फूलों की डालियाँ हवा में लहरा जाती है।
जब तुम अपनी पलकें उठाकर नज़र घुमाती हो
तो मानो समंदर की शांत लेहेरें तूफ़ान बन जाती है।
जब तुम अपने हाथों के कंगन को खनखाती हो
तो मानो सारे जहाँ में शेहनाई बज जाती है।
जब तुम अपनी नज़रें उठाकर मुझे देखती हो
तो मानो दिल की धड़कने अचानक थम जाती है।
काश तुम ख्वाब ही होती हकीकत कभी न बन पाती
तो ख्वाब ज़िन्दगी होती ज़िन्दगी ख्वाब बन जाती है।
तो मानो मेरी ज़िन्दगी खुश्नुमाह ख्वाब बन जाती है।
जब तुम अपने जुल्फों को उँगलियों से सहलाती हो
तो मानो सारे बादलों में बिजली सी कड़क जाती है।
जब तुम अपने माथे पे छोटी गोल बिंदी लगाती हो
तो मानो चाँद की चांदनी भी कुछ ज्यादा हो जाती है।
जब तुम अपने होठों को दाँतों के बीच दबाती हो
तो मानो फूलों की डालियाँ हवा में लहरा जाती है।
जब तुम अपनी पलकें उठाकर नज़र घुमाती हो
तो मानो समंदर की शांत लेहेरें तूफ़ान बन जाती है।
जब तुम अपने हाथों के कंगन को खनखाती हो
तो मानो सारे जहाँ में शेहनाई बज जाती है।
जब तुम अपनी नज़रें उठाकर मुझे देखती हो
तो मानो दिल की धड़कने अचानक थम जाती है।
काश तुम ख्वाब ही होती हकीकत कभी न बन पाती
तो ख्वाब ज़िन्दगी होती ज़िन्दगी ख्वाब बन जाती है।
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