Tuesday, December 9, 2008

सुनी सड़क है, तनह सफर है।
जाना कहाँ है, किसको ख़बर है।
चल पड़े हैं राहो में युहीं,
मंजिल जाने, जाने किधर है ।

इठलाती है बलखाती है, राहें यह देखो कैसे इतराती है ।
अन्जानी है बेगानी है, क्या तेवर देखो दिखलाती है ।
अकेली नहीं ज़िन्दगी मेरी, अकेला न जाने की चाह है ।
मंजिल को किसने देखा है, साथ में बस मेरी राह है ।

शोर करने से ख्वाब हकीकत में नहीं बदलते,
पानी में चाँद को कैद करने से तारें नहीं पकड़ते ।
ज़िन्दगी का मज़ा तो ज़िन्दगी को जीने में आता है,
स्वर्ग का रस चकने का मज़ा दिल को नहीं भाता है ।

हर दिन सोचा की में अपने दिल का हिजार करूंगा,
एक दिन आँखें चार और टूट कर तुझसे प्यार करूंगा,
मेरा हर हिजार को पेरों से ठुकराया जाता है,
फिर भी मुझे मेरी हर कोशिश बहुत मज़ा आता है ।

दो प्रेमी मिलने की चाहत में ज़माने को अलविदा कह दिया,
अपनी मजार पर जाने कितने ताज महल बनवा दिया,
अगर वोह मिल पाते तो लैला मजनू न कहलवाते,
न लाखों प्रेमियों के भगवान् स्वरुप बन पाते ।

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