Friday, May 2, 2008

चाँद और हिजार

छोटी मीठी प्यारी बातें,
करने लगे हैं चंदा तारे
सुनो ना , सुनो तों ज़रा,
बीत जाए न ये रंगीन रातें
पकड़ लो इन्हे यह पल है जाते

कभी जो तुम्हारी आवाज़
सुनाई देती है कानों मैं,
लगता है जैसे ये चाँद,
झूमे है अपने ख्यालों मैं ।

धागे चांदनी के आज
हमें बाँधने चले हैं,
ले जा के कहीं दूर
सपनों की दुनिया के तले है ।

आज मन चाहता है की तारों से पूंछू,
अपनी दुनिया अपने सपनो का पता।
हाथ तेरा थामे चल पडू उस राह पर
हर मोड़ पड़ नया आशियाँ हो बना ।

कम हो उस चाँद की उमर भले मगर,
हमारे प्यार की चांदनी सदा रहेगी ।
फूल खुशबू और इस फिजा मैं ,
आवारा भँवरे मंडराते चासनी सदा रहेगी ।

इंतज़ार कर इस रात की सुबह का,
ख़्वाबों से निकल कर वोह सामने होगी,
दो कदम मैं चलूँगा, दो कदम तू चलना,
हाथों मैं हाथ, और आँखों मैं बात होगी ।

प्यार का हिजार न करना
किसने कहा की कुर्बानी होगी ।
जिस खुशी के वास्ते दूर जा रहा हूँ,
उसकी कीमत कई ग़मों से चुकानी होगी ।

जो एक कदम चुपके से पीछे उठा लिया,
मंजिल तमाम उमर ज़िन्दगी ढूंढती रह जायेगी,
रह मैं हमेशा अकेला ही चलेगा
साथ मैं चाहे कितनी भीड़ जुड़ती रहगी ।

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