My poems
Friday, June 3, 2011
शायरी - 1204
तेरी जुस्तुजू तो नहीं, तेरा न कोई ख्वाब है,
बस गम की दुआओं का मेरे सर पर हाथ है।
जो अश्क नहीं बहे, उम्र भर मेरे मालिक,
अब गिरे जो दम-ब-दम तो तेरी सौगात है।
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